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त्र्यंबकेश्वर यह त्रिंबक शहर
में एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, यह भारत मे महाराष्ट्र राज्य
के नासिक शहर से 28 किमी दुर है| यह मंदीर भगवान शिव को
समर्पित है और शिवजी के बारह ज्योर्तीलींग मे से एक है|
यह स्थल गोदावरी नदी के उद्गम स्थान से भी जाना जाता है
जो प्रायद्वीपीय भारत में सबसे लंबी नदी है। गोदावरी नदी
को हिंदू धर्म मे पवित्र माना जाता है। जो ब्रम्हगीरी
पहाड़ों से निकलके राजमहेंद्रु के पास समुद्र मिलती है।
तिर्थराज कुशावर्त को नदी गोदावरी का प्रतीकात्मक मूल माना
जाता है और एक पवित्र स्नान जगह के रूप में हिंदुओं द्वारा
प्रतिष्ठित है। |
|| नारायण नागबलि|| |
|| कालसर्प
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त्रिपिंडी
श्राध्द || |
नारायण नागबलि ये दोनो विधी मानव की अपूर्ण इच्छा ,
कामना पूर्ण करने के उद्देश से किय जाते है इसीलिए ये
दोने विधी काम्यू कहलाते है। नारायणबलि और नागबपलि ये
अलग-अलग विधीयां है। नारायण बलि का उद्देश मुखत:
पितृदोष निवारण करना है । और नागबलि का उद्देश सर्प/साप/नाग
हत्याह का दोष निवारण करना है। केवल नारायण बलि यां
नागबलि कर नहीं सकतें, इसगलिए ये दोनो विधीयां एकसाथ
ही करनी पडती हैं। |
इस ससार में जब कोई भी प्राणी जिस पल मे जन्म लेता है,
वह पल(समय) उस प्राणी के सारे जीवन के लिए अत्यन्त ही
महत्वपुर्ण माना जाता है। क्यों की उसी एक पल को आधार
बनाकर ज्योतिष शास्त्र की सहायता सें उसके समग्र जीवन
का एक ऐसा लेखा जोखा तैयार किया जा सकता है, जिससे उसके
जीवन में समय समय पर घटने वाली शुभ अशुभ घटनाऔं के
विषायमें समय से पूर्व जाना जा सकता है। |
पितरों की प्रसन्नता के लिये धर्म के नियमानुसार
हविष्ययुक्त पिंड प्रदान आदि कर्म करना ही श्राध्द
कहलाता है। श्राध्द करने से पितरों कों संतुष्टि मिलती
है और वे सदा प्रसन्न रहते हैं और वे श्राध्दककर्ता को
दीर्घायू प्रसिध्दी, तेज स्त्री पशु एवं निरागता
प्रदान करते है। |
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||महामृत्युंजय मंत्र
जाप|| |
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रुद्राभिषेक|| |
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महामृत्युंजय मंत्र के वर्णो (अक्षरों)
का अर्थ महामृत्युंघजय मंत्र के वर्ण पद वाक्यक
चरण आधी ऋचा और सम्पुतर्ण ऋचा-इन छ: अंगों के अलग अलग
अभिप्राय हैं।
ओम त्र्यंबकम् मंत्र के 33 अक्षर हैं जो महर्षि
वशिष्ठर के अनुसार 33 देवताआं के घोतक हैं। उन तैंतीस
देवताओं में 8 वसु 11 रुद्र और 12 आदित्यठ 1 प्रजापति
तथा 1 षटकार हैं। इन तैंतीस देवताओं की सम्पुर्ण
शक्तियाँ महामृत्युंजय मंत्र से निहीत होती है जिससे
महा महामृत्युंजय का पाठ करने वाला प्राणी दीर्घायु तो
प्राप्त करता ही हैं । साथ ही वह नीरोग, ऐश्वर्य
युक्ता धनवान भी होता है । |
अभिषेक का अर्थ होता है स्नान करना
या कराना। रुद्र अभिषेक जहां पंचामृत पूजा मंत्रोच्चारण
के साथ त्र्यंबकेश्वर भगवान को अर्पण किया जाता है
इससे उस व्यक्ति की सभी मनोकामना पुर्ण होती है।
यह रुद्रा अभिषेक से समृद्धि, सभी इच्छाओं को पूरा होणे
कि ताकद तथा नकारात्मक छटा का नाश और जीवन में सभी ओर
खुशी मिलती है। |
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नारायण नागबलि मुहुर्त 2022 |
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कालसर्प त्रिपिंडी मुहुर्त 2022 |
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